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कॉन्वेंट शिक्षा पद्धति का सत्य

कॉन्वेंट शिक्षा पद्धति का सत्य
Truth of Convent Education

भारत में आज भी चाहे शादी के पत्र देख लो चाहे नौकरी के, उसमे बड़े बड़े शब्दों में लिखा जाता है 'कॉन्वेंट एजुकेटेड'।

कान्वेंट शब्द पर बहुत कूदें मत बल्कि सच को समझे।
 ‘कॉन्वेंट’ यानी सबसे पहले तो यह जानना आवश्यक है कि ये शब्द आखिर आया कहाँ से है???


गोरों में एक प्रथा थी 'लिव इन रिलेशनशिप' यानी बिना किसी वैवाहिक संबंध के एक लड़का और एक लड़की का साथ में रहना। आजकल भारत मे इसका सबसे ज्यादा बोलबाला है।

लड़का लड़की जब साथ में रहते थे तो शारीरिक संबंध भी बन जाते थे, तो इससे जो संतान पैदा हो जाती थी तो उन संतानों को किसी चर्च में छोड़ दिया जाता था।यानी जो बच्चे बिन ब्याहे माँ बापों की औलाद होते थे उन्हें चर्च में छोड़ दिया जाता था। अगर आज भी आप देखें तो बहुत से चर्च बाहर पालना रखते हैं, अनाथालयों की शुरुआत ही ईसाइयत से हुई।


तो वहां की सरकार के सामने यह गम्भीर समस्या हुई कि इन बच्चों का क्या किया जाए तब वहाँ की सरकार ने ऐसे बच्चों के लिए कॉन्वेंट खोले अर्थात जो बच्चे अनाथ होने के साथ-साथ नाजायज हैं उनके पालन पोषण की जिम्मेदारी चर्च को दे दी गई। और चर्च उन बच्चों को बड़ा करके ईसाई धर्म के प्रचार प्रसार के लिए use करने लगा।

 लड़का हो तो पादरी और लड़की हो तो नन!!!

उन अनाथ और नाजायज बच्चों के लिए उन्होंने अनाथालयो में फादर ,मदर और सिस्टर की नियुक्ति कर दी क्योंकि ना तो उन बच्चों का कोई जायज बाप है ना ही माँ है। तो काँन्वेन्ट में इन नाजायज बच्चों के लिए फादर, मदर और सिस्टर भी थे!!

इंग्लैंड में पहला कॉन्वेंट स्कूल सन् 1609 के आसपास एक चर्च में खोला गया था जिसके ऐतिहासिक तथ्य भी मौजूद हैं और भारत में पहला काँन्वेंट स्कूल कलकत्ता में सन् 1842 में खोला गया था। परंतु तब हम गुलाम थे और आज तो लाखों की संख्या में काँन्वेंट स्कूल चल रहे हैं।

अब तो गांव गांव में कान्वेंट चल रहे हैं जिसे धर्मातरण और ईसाई धर्म के प्रचार के लिए धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है।

जब कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया, उस समय इसे ‘फ्री स्कूल’ कहा जाता था, इसी कानून के तहत भारत में #कलकत्तायूनिवर्सिटी बनाई गयी, #बम्बईयूनिवर्सिटी बनाई गयी, #मद्रासयूनिवर्सिटी बनाई गयी और ये तीनों गुलामी के ज़माने की यूनिवर्सिटी आज भी इस देश में हैं।

मैकाले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी बहुत मशहूर चिट्ठी है। उसमें वो लिखता है कि: "इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे। इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा। इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा। इनको अपनी परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा।
इनको अपने मुहावरे नहीं मालुम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी।”


उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है और उस एक्ट की महिमा देखिये कि हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है, अंग्रेजी में बोलते हैं कि दूसरों पर रुवाब पड़ेगा। अरे ! हम तो खुद में हीन हो गए हैं। जिसे अपनी भाषा बोलने में शर्म आ रही है, दूसरों पर क्या राज करेगा?

लोगों का तर्क है कि “अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है”। दुनिया में 204 देश हैं और अंग्रेजी सिर्फ 11 देशों में ही बोली, पढ़ी और समझी जाती है, फिर ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा है? एक भारत ही हैं जहाँ कि अपनी कोई स्थापित राष्ट्रभाषा नही है???

और तो और अंग्रेज़ी बोल लेने भर से ही उंस व्यक्ति को इंटेलीजेंट मान लिया जाता है 

शब्दों के मामले में भी अंग्रेजी समृद्ध नहीं बल्कि निहायत दरिद्र भाषा है। 

 बाइबिल भी अंग्रेजी में नहीं थी और ईसा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे। ईसा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी। 

अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो बंगला भाषा से मिलती जुलती थी। समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी।

भारत देश में अब भारतीयों की मूर्खता देखिए जिनके जायज माँ बाप भाई बहन सब हैं, वो कॉन्वेंट में जाते है तो क्या हुआ एक बाप घर पर है और दूसरा काँन्वेन्ट में जिसे फादर कहते हैं। आज जिसे देखो काँन्वेंट खोल रहा है जैसे बजरंग बली कॉन्वेंट स्कूल, माँ भगवती कॉन्वेंट स्कूल। अब इन मूर्खो को कौन समझाए कि माँ भगवती या बजरंग बली का कॉन्वेंट से क्या लेना देना?

भारत मे मानसिकता ऐसी हो गई कि कान्वेंट में बच्चों को पढ़ाना स्टेटस सिंबल बन गया हिंदी मीडियम और सरकारी स्कूलों से पढ़े बच्चों को हीनता से देखा जाता है।

दुर्भाग्य की बात यह है कि जिन चीजो का हमने त्याग किया अंग्रेजो ने वो सभी चीजो को पोषित और संचित किया। और हम सबने उनकी जूठन को ही राजभोग समझ कर धर लिया।

जिन स्कूलों की स्थापना ही धर्म के प्रचार के लिए हुई हो वहां से सनातनी सोच के बच्चे कैसे निकलेंगे ? 

ईसाइयों के पास कॉन्वेंट है 
इस्लाम मे इसके लिए मदरसे हैं
और .....
हिन्दुओं के पास...? चिंतन अवश्य करें।
 
"वंदे मातरम"

#TheEraOfRevolution
#Sanatana #सनातन
#Convent #कॉन्वेंट

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