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Showing posts from August, 2021

कौन से पात्र में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है!

कौन से पात्र में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है इस विषय पर संक्षेप में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी अवश्य रखें। (१) सोना:- सोना एक गर्म धातु है ! सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है! (२) चाँदी:- चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है ! शरीर को शांत रखती है ! इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रौशनी बढती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है! (३) कांसा:- काँसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है! लेकिन काँसे के बर्तन में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए ! खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है ! जो नुकसान देती है ! कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल ३ प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं! (४) तांबा:- तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध हो...

कॉन्वेंट शिक्षा पद्धति का सत्य

◆ कॉन्वेंट शिक्षा पद्धति का सत्य ◆ ◆ Truth of Convent Education ◆ भारत में आज भी चाहे शादी के पत्र देख लो चाहे नौकरी के, उसमे बड़े बड़े शब्दों में लिखा जाता है 'कॉन्वेंट एजुकेटेड'। कान्वेंट शब्द पर बहुत कूदें मत बल्कि सच को समझे।  ‘ कॉन्वेंट ’ यानी सबसे पहले तो यह जानना आवश्यक है कि ये शब्द आखिर आया कहाँ से है??? गोरों में एक प्रथा थी ' लिव इन रिलेशनशिप' यानी बिना किसी वैवाहिक संबंध के एक लड़का और एक लड़की का साथ में रहना। आजकल भारत मे इसका सबसे ज्यादा बोलबाला है। लड़का लड़की जब साथ में रहते थे तो शारीरिक संबंध भी बन जाते थे, तो इससे जो संतान पैदा हो जाती थी तो उन संतानों को किसी चर्च में छोड़ दिया जाता था।यानी जो बच्चे बिन ब्याहे माँ बापों की औलाद होते थे उन्हें चर्च में छोड़ दिया जाता था। अगर आज भी आप देखें तो बहुत से चर्च बाहर पालना रखते हैं, अनाथालयों की शुरुआत ही ईसाइयत से हुई। तो वहां की सरकार के सामने यह गम्भीर समस्या हुई कि इन बच्चों का क्या किया जाए तब वहाँ की सरकार ने ऐसे बच्चों के लिए कॉन्वेंट खोले अर्थात जो बच्चे अनाथ होने के साथ-साथ नाजायज हैं उन...

वैदिक रक्षाबन्धन- इस तरह से बनाए वैदिक राखी।

वैदिक रक्षाबंधन -  प्रतिवर्ष श्रावणी-पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्यौहार होता है, इस बार 22 अगस्त 2021 रविवार के दिन है। इस दिन बहनें अपने भाई को रक्षा-सूत्र बांधती हैं । यह रक्षा सूत्र यदि वैदिक रीति से बनाई जाए तो शास्त्रों में उसका बड़ा महत्व है । 🌷 वैदिक रक्षा सूत्र बनाने की विधि 🌷 🙏🏻 इसके लिए ५ वस्तुओं की आवश्यकता होती है - (१) दूर्वा (घास)  (२) अक्षत (चावल)  (३) केसर  (४) चन्दन  (५) सरसों के दाने 🙏🏻 इन ५ वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावा में पिरो दें, इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो जाएगी । 🌷 इन पांच वस्तुओं का महत्त्व 🌷 ➡ (१) दूर्वा - जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर तेज़ी से फैलता है और हज़ारों की संख्या में उग जाता है, उसी प्रकार मेरे भाई का वंश और उसमे सदगुणों का विकास तेज़ी से हो । सदाचार, मन की पवित्रता तीव्रता से बढ़ता जाए । दूर्वा गणेश जी को प्रिय है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैं, उनके जीवन में विघ्नों का नाश हो जाए । ➡ (२) अक्षत - हमारी गुरुदेव के प्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत ना ह...

प्राचीन विश्व के महाद्वीप, जम्बूद्वीप और भारतवर्ष की अद्भुत जानकारी।

सनातन धर्म पहले संपूर्ण धरती पर व्याप्त था। इस लेख के द्वारा मैं आपको विश्व के प्राचीन इतिहास से जुड़ी कुछ संक्षेप जानकारियां उपलब्ध कराऊंगा कि प्राचीन विश्व के सप्त द्वीपों के नाम जम्बूद्वीप के नौ खंड और भारतवर्ष के नौ खंडों को किस नाम से जाना जाता था। आइए प्रारंभ करें। पहले धरती के सात द्वीप थे-  •जम्बू •प्लक्ष •शाल्मली •कुश •क्रौंच •शाक एवं  •पुष्कर।   इसमें से जम्बूद्वीप सभी के बीचोबीच स्थित है। राजा प्रियव्रत संपूर्ण धरती के और राजा अग्नीन्ध्र सिर्फ जम्बूद्वीप के राजा थे।  जम्बूद्वीप में नौ खंड हैं-  •इलावृत •भद्राश्व •किंपुरुष •भारत •हरि •केतुमाल •रम्यक •कुरु और  • हिरण्यमय इसमें से भारतखंड को भारत वर्ष कहा जाता था।  भारतवर्ष के नौ खंड हैं - इनमें  •इन्द्रद्वीप •कसेरु •ताम्रपर्ण •गभस्तिमान •नागद्वीप •सौम्य •गन्धर्व और  • वारुण तथा यह समुद्र से घिरा हुआ द्वीप उनमें नौवां है। भारतवर्ष के इतिहास को ही हिन्दू धर्म का इतिहास नहीं समझना चाहिए। ईस्वी सदी की शुरुआत में जब अखंड भारत से अलग दुनिया के अन्य हिस्सों में लोग पढ़न...